Saturday 7 June 2014

एक ब्लॉगर की गुस्से भरी कथा


इस बार फिर से उसी पुराने मुद्दे पर लिखना का मन हुआ. अब आप इसे बात को बार बार दोहराना कह लें, बेकार की बकवास कह लीजिये या एक फ़्रस्टेड दिमाग का कचरा … जो मन में आये सोचिये, मैं परवाह नहीं करती। तो मुद्दा वही है "एक ब्लॉगर की दुःख भरी कथा".  लेकिन इस बार गुस्सा इस बात को लेकर है कि ये  जो ज़माने भर के ब्लॉग संकलक या फोरम या मंच  ब्लॉग बने हुए हैं  ये आखिर किसके काम के हैं ??? यहां किन लोगों को जगह मिलती है, जहां तक मैंने देखा है कि  वही कुछ गिने चुने नाम हैं जिनको हर दुसरे तीसरे दिन किसी ना किसी मंच पे देखती हूँ (एक कारण ये भी है कि  इनमे से कई लोग डेली बेसिस वाले लेखक हैं, भगवान जाने इनकी कल्पनाशक्ति और अति सृजनात्मकता का रहस्य क्या है जो हर दूसरे दिन कोई आईडिया मिल जाता है लिखने को) खैर, इस बात पर तो कोई क्या ईर्ष्या करे.  

सवाल मेरा सिर्फ इतना है कि  ये सारे ब्लॉग  लिंक संकलक  करते क्या हैं ? क्या सिर्फ इनकी दिलचस्पी कविता, छंद, बंद तक है या किसी क्षेत्र विशेष से ही प्रेम  है जो "बाहरी" लोगों को इनके यहां प्रवेश नहीं मिलता। फेसबुक पर कई पेज/ग्रुप हैं जहां ब्लॉगर्स  अपनी लिखी रचना  के लिंक पोस्ट करते ही हैं, तब फिर उनमे से कितनों को जगह मिल पाती है इन फ़ोरम्स  में ?? कभी मिलती भी है ????? मेरा अपना उदाहरण देना चाहूंगी, इसलिए नहीं कि  हाय राम मेरी पोस्ट को शामिल नहीं किया इसलिए अब इनको गालियां देनी ही हैं, मगर इसलिए कि  जो घटना हुई उसने बहुत गुस्सा दिलाया (और मुझे गुस्सा बहुत जल्दी आ जाता है, बाद में भले ही सोच विचार करूँ  पर उस वक़्त तो …) लेकिन इस समय सोच विचार का नहीं गुस्से का ही मन है. शायद यही गुस्सा रहा होगा दिमाग में जब करीब दो महीने पहले एक ब्लॉग लिंक संकलक  के फेसबुक पेज के एक पोस्ट  पर कमेंट किया था कि  भाई कभी मेरी भी पोस्ट को शामिल कर दिया करो (वैसे उन भले लोगों ने एक बार, जी हाँ एक बार तो लिया ही था  मेरी पोस्ट  को और बड़ी मेहरबानी उनकी कि  उस लिंक अप की वजह से  कुछेक कमेंट्स भी आये  पोस्ट पर ) तब जवाब यही मिला था कि  देखिये फलानी  तारीख को फलाने ब्लॉग पेज पर आपकी रचना है. पर पूछती हूँ कि  क्या उसके पहले कभी लिखा नहीं था या उसके बाद कभी लिखा नहीं ???  कम से कम हम ब्लॉगर्स   इतनी तो उम्मीद रखते ही हैं इन "चर्चा वाले ब्लॉग्स" (जैसा कि  यशवंत जी ने सही नाम सुझाया है)  से कि  कभी कभार "हम जैसे कम  जाने पहचाने या शायद बिलकुल अनजाने लोगों" के लिखे को भी शामिल कर लो. बार बार उन्ही लोगों को शामिल कर के कौनसा  तीर मारा जा रहा है जो आज इस फोरम पर तो कल किसी और फोरम पर  शोभा बढ़ाते ही  है.  जिनकी रचना की तारीफ़ के पुल, सड़क, रनवे का कोई अंत आलरेडी नहीं है उनको बार बार हर फोरम पर दोहराने का क्या फायदा। जिनके पास पहले ही ढेर सारे फॉलोवर्स हैं, उन्ही को अगर हाईलाइट कर रहे हैं  क्या बड़ी बात है.

सवाल ये भी नहीं उठा रही कि  इतनी इतनी बार आप के ब्लॉग संकलक  को विजिट करने, वहाँ कमेंट करने के बाद भी आप लोग जहमत नहीं उठाते ये देखने की कि  क्या कोई और ब्लॉगर्स  भी हैं जिनके ब्लॉग्स को शामिल किया जा सकता है ?? क्या आपके हिसाब से भारत के कुछ क्षेत्र विशेष ही हैं जहां से पोस्ट लिंक लिए जाने चाहिए ?? और कुछ फ़ोरम्स का सारा प्यार तो जैसे कविता पर ही उमड़ता है, वहाँ गद्य लेखन की कोई जगह नहीं  फिर क्यों वे लोग मेरे ब्लॉग पर कमेंट  करते वक़्त फरमाते हैं कि  हमारे इस एग्रीगेटर  पर पधारिये, तब मन करता है कि  दो चार कड़वी बात सुना ही दूँ।  इसके अलावा ज्यादातर ब्लॉग एग्रीगेटर सिर्फ लेटेस्ट यानी आज की डेट में लिखी हुई रचना को ही लिंक करते हैं तो फिर जो पुरानी हैं उनका क्या ?? क्या उनको कभी शामिल नहीं किया जाना चाहिए ?? 

गुस्सा इस बात का ज्यादा आता है की हिंदी ब्लॉगर्स  के लिए वैसे भी इंग्लिश एग्रीगेटर्स जैसे इंडीब्लोगर्स और ब्लॉगअड्डा वगैरह पर बहुत ज्यादा  स्कोप नहीं रहता तब ऐसे में अगर हिंदी के चर्चा ब्लॉग्स  भी ऐसा भेदभाव करेंगे तो फिर इनका क्या उपयोग हमारे लिए ??  अभी कुछ समय पहले की बात है कि  इंडीब्लॉगर पर एक फोरम डिस्कशन पर मैंने इस मुद्दे  को उठाया था कि  हिंदी में लिखने वालों को न वोट्स मिलते हैं ना कमेंट्स और ना ही कोई ऑनलाइन कांटेस्ट ऐसा होता है जिसमे हिंदी को भी जगह मिलती हो और हिंदी में लिखी पोस्ट का जीतना तो खैर दूर की कौड़ी लगती है,  बड़ी तीखी बहस हुई थी  … तब उन अंग्रेजी में लिखने वालों ने  इस बात को माना  कि हिंदी ब्लॉगर्स  की तरफ ध्यान नहीं जाता  ऐसे में जब इन संकलक  का ये व्यवहार देखती हूँ तो लगता है कि  दोष पढ़ने  का वालों का उतना नहीं जितना इन सो कॉल्ड चैनल्स का है जो अपनी सुविधा या पसंद के हिसाब से चलते हैं. 

खैर दुनिया यूँही चलेगी, मेरे चीखने या चिल्लाने  से क्या तो होगा और क्या ना होगा इसकी बहस फिर कभी.

कुछ  समय पहले भी इसी मुद्दे पर एक Essay लिखा था 

10 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

मुझे नहीं लगता कि ब्लॉग एग्रीगेटर्स किसी व्यक्ति विशेष की पोस्ट नहीं लिंक करते ।

आपके साथ ऐसा क्यों हुआ मुझे समझ नहीं आया।

ब्लॉग एग्रीगेटर्स पर आपकी पोस्ट प्रदर्शित होने के के लिए आपके ब्लॉग का वहाँ रजिस्टर्ड होना जरूरी है। कुछ ब्लॉग एग्रीगेटर्स (जैसे अभी एक नया 'ब्लॉग सेतु' आया है) आपकी पोस्ट पब्लिश होते ही वहाँ दिखाने लगते हैं। जबकि 'हमारी वाणी' जैसे एग्रीगेटर पर पोस्ट दिखाने के लिये आपको अपने ब्लॉग पर उनके लोगो को क्लिक करना होता है।

ब्लॉग एग्रीगेटर्स का काम पोस्ट्स के लिंक्स को वहाँ दिखाना और पाठकों को उनकी रुचि की ब्लॉग पोस्ट्स की ओर डायवर्ट करना ही है।

बहरहाल अच्छा मुद्दा उठाया आपने।

सादर

Bhavana Lalwani said...

shayad maine sahi shabd istemaal nahin kiya .. blog aggregators se mera matlab un blogs se hai jo har roz alag alag blog posts ke link publish karte hain jaise aapki "nai purani hulchul", nirjhar times, blog bulletin, blog manch vagairah. ye post usi sandarbh mein hain

Yashwant R. B. Mathur said...

नयी पुरानी हलचल इत्यादि को ब्लॉग एग्रीगेटर्स की श्रेणी मे शामिल नहीं किया जा सकता। क्योंकि ऐसे ब्लोगस एग्रीगेटर्स से कई मायने मे अलग होते हैं।

ऐसे ब्लोगस को 'चर्चा वाले ब्लोगस' कहा जा सकता है।

सादर

Bhavana Lalwani said...

haan wahi, charcha wale blogs .. inhi ke baare mein kahaa hai maine. ye log apne aas paas se aage nahi uth paate.

Abhishek Thakur said...

हालांकि मैं कोई ब्लॉग एग्रीगेटर नहीं हूँ लेकिन ज़्यादातर हिन्दी ब्लॉग एग्रीगेटर मैनुएली ब्लॉग सिलैक्ट करते हैं इसलिए इस तरह की त्रुटियाँ होंगी ही क्योंकी वो भी अपने subscribed फीड से ही तो blogs पढ़ेंगे और छाटेंगे। indiblogger एक फोरम की तरह है। अभी हाल ही में कई forum style के ब्लोगगिंग प्लैटफ़ार्म आए हैं जैसे feedji, blogsetu आदि।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपके ब्लॉग को फॉलो कर लिया है।
फीड आती रहेंगी तो यदा-कदा आपकी पोस्ट का लिंक चर्चा मंच में भी लगाने में सुविधा रहेगी।

Bhavana Lalwani said...

thank u blog bulletin Team.

Bhavana Lalwani said...

@abhishek ji .. maanti hun ki errors hona natural hai par kya we log fb ke blogging pages/groups par bhi update nahin dekhte hain .. mera ishara isi ki taraf hai.

@Shastri ji.. bahut bahut shukriya .. aapko apne blog par dekh kar achha lagaa.

Anita Sabat said...

Bhavana, Nicely shared. It's true that Hindi Bloggers don't get much scope in the Blogging Contests...but then, you see the winners of the contests are the choices of the brands/sponsors- Sometimes they chose not-so-great entries.
That's my experience as I have not won even a consolation prize in many contests (though there were 40-50 Consolation prizes!!!)
You keep on writing & uphold the meaning of Blogging- as described by the image at the end- that you have shared.

Bhavana Lalwani said...

Anita.. I cant believe that you didn't win any prize (when I saw many of your posts being top posts on indiblogger).. You are such an amazing writer. But yes this is the irony of the blogging sphere.

I agree contests are all about brand promotions and such things, they are not suppose to promote the bloggers and their work.
Thanks for your encouraging words.