Monday 7 November 2011

कुछ टूट गया ..

एक सितारा टूट कर आसमान से ज़मीन पर आ गिरा ...बहुत से तारे कई बार टूट कर गिरते  ही रहते है..क्या बड़ी बात है.  पर वो सितारा रोज़ मेरे कमरे की खिड़की से दिखता था... उसकी चमक औरों से कुछ अलग दिखती थी. और तारों से थोड़ा ज्यादा चमकीला, थोड़ा ज्यादा करीब ..यूँ तो वो सितारा भी उतने ही प्रकाश  वर्षों की दूरी पर था जितने कि और सब तारे..पर फिर भी वो सितारा थोड़ा करीब सा ही लगता था. दूर होते हुए भी कमरे की खिड़की के ठीक सामने हर रोज़ उसी एक जगह पर नज़र आता था... रोज़ मुझे नई नई कहानियां  सुनाता था ...बड़े ही  दिलचस्प  और दिल को मोह लेने वाले किस्से कहानियां..बड़ी मीठी मीठी बातें..सम्मोहित कर देती थीं उसकी कहानियां ....वो सितारा सबसे सुन्दर लगने लगा था ..उसकी रंगत सबसे अलग दिखती थी ..आसमान में तारों और नक्षत्रों की भीड़ में भी मैं आसानी से अपने उस सितारे को पहचान जाती थी ...वैसे सब तारे एक से ही दिखते हैं ..पर कहा ना उसकी..उस एक सितारे की जाने कैसे एक अलग पहचान  बन गई थी..मुझसे कुछ जान-पहचान सी हो गई थी ....इतना दूर  आसमान के जाने कौन से कोने में रहने वाले और galaxi के जाने कौन से छोर की परिक्रमा करने वाले को पता नहीं कहां से मेरे कमरे की खिड़की का पता मिल गया और मुझे भी उस अनजान से सितारे की कैसे पहचान हुई ..पता नहीं..


पर फिर, एक दिन सितारा टूट के गिर गया, यूँ ही अचानक से ही..अर्श से सीधे फर्श पर ..इस तरह कि टूटने की आवाज़ हुई तो होगी पर कहीं कुछ दिखा नहीं ..बस चुप चाप से टूट गया..कहीं ज़मीन पर गिर गया..मिटटी में गुम हो गया ...पर ये टूटना, सचमुच का टूटना नहीं था..अब कोई उल्का नहीं है कि टूट के टुकड़े हो कर गिरे..ये टूटना ज़रा  प्रतीकात्मक था.. सितारा आज भी अपनी जगह पर चमकता है..वहीँ उसी कोने में , आकाशगंगा के उसी छोर पर ..पर अब उसकी चमक हलकी पड़ गई है..अब मुझे वो उतना पहले सा चमकीला नहीं लगता ...अब उसकी रंगत मटमैली हो गई है..या शायद अब उस पर कोई नया ही रंग है जिसको मैं नहीं जानती..या जान गई हूँ इसलिए देखना नहीं चाहती...सितारा अब भी कहानियाँ सुनाता है..पर उसके किस्सों को  अब मैं नहीं सुनती..आवाज़ सुनाई देती है उसकी पर फिर मेरे कान उस आवाज़  को ही अनसुना किये जाते हैं...सितारा आज भी वो ही मीठी बातें कहता होगा..वो ही दिलचस्प किस्से सुनाता होगा ..ऐसा मुझे यकीन है..पर उसके सुनने वालों में अब मेरा नाम नहीं ..अब जान-पहचान का सूत्र ढीला होते होते टूटने को हो गया है..अब मुझे अपने कमरे की खिड़की पर उस सितारे की प्रतीक्षा नहीं  रहती..उसके वो बोल..वो बातें.. सब नकली ..छलावा सा लगने लगीं हैं..

एक सितारा टूटा ..अर्श से फर्श पर...

5 comments:

मनीष said...

खुबसूरत भाव...
पहले पैराग्राफ में कल्पना-शक्ति से खुबसूरत सृजन दिख रहा है | अंतर्मन की भावनाओं को बड़ी कारीगरी से सजाया है |
दुसरे में हलकी सी निराशा और पीड़ा है...
थोडा सा और लिखा जा सकता है इसमें
बहरहाल एक और प्यारा शब्द-प्रवाह...

nishkam said...

hey bhavana.....u have a written a gud article...isko padh kar kuch beete baatein taaza ho gayi.........

mayank ubhan said...

अब उसकी रंगत मटमैली हो गई है..या शायद अब उस पर कोई नया ही रंग है जिसको मैं नहीं जानती..या जान गई हूँ इसलिए देखना नहीं चाहती...सितारा अब भी कहानियाँ सुनाता है..पर उसके किस्सों को अब मैं नहीं सुनती..आवाज़ सुनाई देती है उसकी पर फिर मेरे कान उस आवाज़ को ही अनसुना किये जाते हैं...
i cant understand why u wrote such lines..but just wanna say few lines i read once...
ye sitaare bhi hum jaise hi hote hain, kuch hanste hain kuch muskuraate hain aur kuch apni chamak par muskuraate hain.
ek kinare waaley taare se jab kisi ne poocha ki
kya baat hai tare tum kyon itna udas ho kyon sabse door ho naheen sabke sath ho
ek halki si muskan ke sath us tare ne jawab diya........

jo sath the ab woh bohot door hain
jo khas the ab woh bohot door hain

bheed me hoon fir bhi akelapan mere sath hai
is liye yeh sitara aaj udas hai.
is se sachha aur kya ho sakta hai...ye taarey to wakai hamari tarah hi hote hain....yeh tare to wakai ham jaise hote hain
kisi ka sath pakar hanste hain,
aur akelepan me udas hote hain...shayad isiliye us sitaarey ki chamak thodi dhundhli dikh rahi hai aapko...kabhi poochna ki kyu itne udaas ho? jawaab mil jaayega....wo bhi hansega aur muskuraayega....usey bhi aapka saath pasand aayega...baaton baaton mai uski dhundhlaahat aur aapki tanhaai khatam ho jaayengi...yuhi raat nikal jaayegi aur us sitaarey se fir se aapki dosti ho jaayegi.....t.c

Dabs said...

This life is full of color.. you cant judge it by only one color... you are good enough to devour it all with different experience. All I can say your few lines touched my heart... you are a unique awesome talent... May God bless you!

Bhavana Lalwani said...

Thank U Dabs .. appreciation is the food for the soul of writer :) keep reading and giving yr views :)