Wednesday 9 March 2011

तसवीरें जो बोल सकतीं तो कहतीं ...

तसवीरें जो बोल सकतीं तो  हमें बतातीं, उन तस्वीरों के बारे में जो कहने भर को बोल नहीं सकतीं पर फिर भी कितनी बातें कह जाती हैं...आवाजें जो कभी हम तक आती हैं और कभी रास्ते में ही खो जाती हैं.... 

तस्वीरें जो बोल सकतीं तो हमें  बतातीं ...तस्वीरों में क़ैद चेहरों की कहानियाँ, किस्से, अफसाने और हकीकतें...

तस्वीरें जो बोल सकतीं तो हमें सुनाती उन आँखों की कहानी, उस दिल का हाल जो इन तस्वीरों को देख के कभी कभी खुश होता है, उदास होता है, कभी रोता है और कभी -कभी नफरत करने लगता है... 
तस्वीरें जो बोल सकतीं तो कहती कि  वो महज़ कागज़ के टुकड़े पर छपी किसी की परछाईं भर नहीं हैं, बल्कि किसी की पूरी ज़िन्दगी को बयान कर सकने की काबिलियत भी रखतीं हैं. .....  


तस्वीरें जो बोलतीं तो हमें बतातीं उन लम्हों के बारे में जब वो एक तस्वीर ली गई थी. उस इंसान के बारे में कि उसके ..दिल-दिमाग में क्या कुछ चल रहा था जब वो तस्वीर ली गई थी..   


तस्वीरें जो बोलतीं तो सुनाती कहानियाँ उन लम्हों  की , कि जब हम उन तस्वीर को देख कर गुज़रे वक़्त को, उस एक खास लम्हे को, उस इंसान को याद कर लेते हैं  ...जो उन तस्वीरों से  झांकता हमसे पूछ रहा है, क्यों भूल गए ना मुझे.. पता था कि ऐसे एक दिन भूल ही जाओगे, इसलिए तो तस्वीर ले ली थी कि एक दिन याद कर पाओ , दोहरा पाओ उस वक़्त को, एक बार फिर से जी सको उस क्षण को जो अब हाथ से फिसल गया है...  


तस्वीरें जो बोलतीं तो हमें ये ज़रूर कहती कि हमें एल्बम में , कंप्यूटर के किसी फोल्डर में बंद रहना बिलकुल अच्छा नहीं लगता ..कि जब हम कई कई दिन तक फोटो फ्रेम पर जमी धूल नहीं हटाते, कि जब हम एक बार भी रुक कर उनकी  तरफ नहीं देखते, कि जब वो महज़ दीवार या टेबल पर पड़ा एक शो पीस बन जाती हैं ..तब तस्वीरें कहती कि नहीं ये हमें ज़रा भी अच्छा नहीं लग रहा.... 
 

तस्वीरें जो कह पाती तो हमसे ये भी कहतीं या हमें ये अहसास दिलातीं कि देखो हम सिर्फ एक ठहरा हुआ लम्हा या कोई वाकया भर  नहीं..हम तुम्हारा ही अतीत, आज और आने वाले कल का आइना हैं... हमें देखो और जानो कि कल तुम कैसे  थे, आज तुम क्या हो और कल कैसे हो जाओगे या  हो जाना चाहोगे.. 


 तस्वीरें जो बोलती तो बताती ..नहीं..नहीं ..याद दिलातीं ..तस्वीरों से झांकते  उन चेहरों की, जाने -पहचाने, अजनबी, भूले-बिसरे  , कभी कहीं  मिले, कहीं देखे, कभी बतियाये, और फिर आगे बढ़ गए..तस्वीरों में छुपे चेहरों के पीछे वे अनगिनत चेहरे जो हमें ज़िन्दगी ने दिखाए, समझाए और पहचान करवाई..उन चेहरों की जिनको तस्वीरों के सहारे की कोई ज़रुरत नहीं पर फिर भी उन्हीं की  तस्वीरें हम अपने आस-पास देखना चाहते हैं....

 तस्वीरें जो कह पातीं तो कितना कुछ कहतीं , पर क्या वो सचमुच ही हमारी ही भाषा में बात करती या उनकी कोई अलग भाषा होती होगी..अब ये तो  नहीं पता पर हाँ... वो जो भी कहतीं उस समझना मुश्किल तो नहीं होता ना.... 

तस्वीरें जो बोल सकतीं तो हमें इतना तो ज़रूर समझाती  कि इन तस्वीरों से जो खूबसूरत लम्हे झलक रहें हैं  वो महज़ पुरानी याद नहीं, वो हमारे आज की  मुस्कान, कल की  आशा और आकांक्षाएं  और हमेशा का साथ हैं..

तस्वीरें जो बोलती तो जाने और क्या -क्या कहतीं पर उनका कहा हम सुन पाते या अनसुना करते या सुन तो लेते, मान भी लेते पर फिर भूल जाने का अभिनय भी करते ...


तस्वीरें जो बोलतीं तो कहतीं....

4 comments:

Namisha Sharma said...

kaash tasveere bol paati....kitni yaaden joodi hoti h in tasveero ka saath...tasveere jo bol sakti to kahti- phire se ji lo mere saath vo bite huve pal.
pics r immortal
well written Bhavana...

Bhavana Lalwani said...

Thank you Namisha..

मनीष said...

Bahut khubsurat..., Jaise kisi ne tashveero ko kured diya ho aur unka dard apke shabdo ke roop me umad chala ho...

Kisne kaha ki tashveere bolti nhi, tashveere bolti hai magar unka aartnaad koi sun nahi pata ya sunana hi nhi chahata.
Wo har waqt bolati hai ki "Numaaish ke liye kyu tune mujhe kagaj me kaid kar diya...?"

Bhavana Lalwani said...

thnk u manish for such beautiful words